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नीति निर्देशक तत्वों का वर्गीकरण

 
-: नीति निर्देशक तत्वों का वर्गीकरण :-

Niti-Nirdeshak-Tatva
Niti-Nirdeshak-Tatva


संविधान के अनुच्छेद 35 से 51 तक में वर्णित नीति निर्देशक तत्वों का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जा सकता है:- 

    1. सामान्य जनता को आर्थिक न्याय उपलब्ध कराने वाले निर्देशक तत्व 
    2. सामान्य जनता को सामाजिक न्याय उपलब्ध कराने वाले निर्देशक तत्व 
    3. राजनीतिक तथा पर्यावरण संबंधी नीति निर्देशक तत्व 
    4. अंतर्राष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा से संबंधित नीति निर्देशक तत्व


सामान्य जनता को आर्थिक न्याय उपलब्ध कराने वाले निर्देशक तत्व:- 

  • पुरुष और स्त्री सभी नागरिकों को समान रूप से जीविका के पर्याप्त साधन प्राप्त करने का अधिकार हो। 
  • समुदाय के भौतिक संसाधनों का स्वामित्व और नियंत्रण इस प्रकार विभाजित हो जिसमें सर्वोत्तम सामूहिक हित हो। 
  • आर्थिक व्यवस्था इस प्रकार संचालित हो कि धन और उत्पादन के साधनों का सर्वसाधारण के लिए अहितकारी संकेंद्रण ना हो। 
  • पुरुषों और स्त्रियों दोनों का समान कार्य के लिए समान वेतन हो। 
  • पुरुषों, स्त्रियों तथा अवयस्क  बालकों का दुरुपयोग ना हो तथा आवश्यकता से विवश होकर नागरिकों को ऐसा कार्य न करना पड़े जो उनकी आयु या शक्ति के प्रतिकूल हो। 
  • बालकों को स्वतंत्र और गरिमामय वातावरण में स्वस्थ विकास के अवसर और सुविधाएं दी जाएं तथा अवयस्क व्यक्तियों की शोषण से तथा नैतिक और आर्थिक परित्याग से रक्षा की जाए। 
  • राज्य अपनी आर्थिक सामर्थ्य और विकास की सीमाओं के भीतर काम पाने के, शिक्षा पाने के और बेकारी, बुढ़ापा, बीमारी तथा निशक्तता एवं अन्य अभाव की दशाओं में लोक सहायता पाने के अधिकार को प्राप्त कराने का प्रभावी उपबंध करेगा। 
  • राज्य कर्मकारों को काम, निर्वाह योग्य मजदूरी, स्वस्थ जीवन स्तर और अवकाश का संपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करने वाली काम की दशाएं तथा सामाजिक और सांस्कृतिक अवसर प्राप्त कराने का प्रयास करेगा।
  • विशिष्ट रूप से ग्रामों में कुटीर उद्योगों को व्यक्तिक या सहकारी आधार पर बढ़ाने का प्रयास करेगा। 
  • राज्य आय की असमानताओं को कम करने का प्रयास करेगा और न केवल व्यक्तियों के बीच बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले और विभिन्न व्यवस्थाओं में लगे हुए लोगों के बीच भी प्रतिष्ठा, सुविधाओं और अवसरों की असमानता समाप्त करने का प्रयास करेगा। 


सामान्य जनता को सामाजिक न्याय उपलब्ध कराने वाले निर्देशक तत्व:-

  • राज्य जनता की दुर्बल वर्गों विशेषकर अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के शिक्षा और धन संबंधी हितों का विशेष सावधानी से अभिवृद्धि करेगा और सामाजिक अन्याय और इसी प्रकार के शोषण से उसकी रक्षा करेगा। 
  • राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि विधिक तंत्र इस प्रकार कार्य करें कि समान अवसर के आधार पर न्याय सुलभ हो और विशेषकर आर्थिक या किसी अन्य निर्योग्यता के कारण कोई नागरिक न्याय प्राप्त करने के अवसर से वंचित ना हो। 
  • इसके लिए वह किसी विधायी योजना द्वारा या किसी अन्य प्रकार से निशुल्क विधिक सहायता की व्यवस्था करेगा। 
  • राज्य समाज के अनेक वर्गों के बीच प्रतिष्ठा अवसरों तथा सुविधाओं की असमानता समाप्त करने का प्रयास करेगा। 
  • राज्य सभी बालकों को 14 वर्ष की आयु पूरी करने तक नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा देने के लिए प्रावधान करने का प्रयास करेगा। 
इस निर्देशक तत्व के संबंध में कहा गया है था कि इसे संविधान के प्रारंभ की 10 वर्ष की अवधि के भीतर अर्थात 1960 के पूर्व पूरा किया जाना चाहिए लेकिन सरकार इसे अब तक पूरा करने में असफल रही है।  
  • राज्य भारत के समस्त नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता प्राप्त कराने का प्रयास करेगा।  
  • राज्य की लोक सेवाओं में न्यायपालिका को कार्यपालिका से पृथक करने के लिए राज्य कदम उठाएगा। 


राजनीतिक तथा पर्यावरण संबंधी नीति निर्देशक तत्व:-

  • राज्य ग्राम पंचायतों का संगठन करने के लिए कदम उठाएगा और उनको ऐसी शक्तियां और अधिकार प्रदान करेगा जो उन्हें स्वायत्त शासन की इकाइयों के रूप में कार्य करने योग्य बनाने के लिए आवश्यक है। 
  • राज्य उद्योगों में लगे ऐसे कर्मकारों को प्रबंध में लेने को सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त विधान द्वारा या किसी अन्य प्रकार से कदम उठाएगा। 
  • राज्य देश के पर्यावरण के संरक्षण तथा संवर्धन का और वन तथा वन्यजीवों की रक्षा करने का प्रयास करेगा। 
  • राज्य राष्ट्रीय महत्व वाले घोषित किए गए कलात्मक या ऐतिहासिक अभिरुचि वाले प्रत्येक स्मारक या स्थान या वस्तु का संरक्षण करेगा। 
  • कोई स्मारक या स्थान या वस्तु राष्ट्रीय महत्व का है इसका निर्णय संसद विधि बनाकर करती है। 
  • राज्य कृषि और पशुपालन को आधुनिक और वैज्ञानिक प्रणालियों से संगठित करने का प्रयास करेगा और विशेषकर गायों और बछड़ों तथा दुधारू और वाहक पशुओं की नस्लों के परीक्षण और उनके वध को प्रतिषिद्ध करने के लिए कदम उठाएगा। 
  • राज्य पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को ऊंचा करने तथा लोक स्वास्थ्य को सुधारने का प्रयास करेगा।  
  • राज्य मादक पदार्थों और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक औषधियों के उपभोग का प्रतिशत करने का प्रयास करेगा लेकिन औषधि के प्रयोजन के लिए इनका प्रतिषेध नहीं करेगा। 



अंतर्राष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा से संबंधित नीति निर्देशक तत्व:- 

  • राष्ट्रपति महात्मा गांधी विश्व शांति तथा मानव कल्याण को अपने जीवन का लक्ष्य मानते थे उनके विचारों से प्रभावित होकर संविधान निर्माताओं ने इस वर्ग में ऐसे तत्वों को सम्मिलित किया है जिनका उद्देश्य विश्व शांति एवं मानव कल्याण है। 
  • राज्य अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि का प्रयास करेगा। 
  • राष्ट्रों के बीच न्यायसंगत और सम्मान पूर्ण संबंधों को बनाए रखने का प्रयास। 
  • संगठित लोगों के एक दूसरे से व्यवहारों में अंतर्राष्ट्रीय विधि और संधि बाध्यताओं के प्रति आदर बढ़ाने का प्रयास। 
  • अंतरराष्ट्रीय विवादों को मध्यस्थम द्वारा निपटारे के लिए प्रोत्साहन देने का प्रयास। 




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