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अष्टांगिक-मार्ग aur 4-Arya Satya

* गौतम बुद्ध के अष्टांगिक-मार्ग *

Gautam-Budh
गौतम-बुद्ध


गौतम बुध ने इस सम्पूर्ण संसार को दुःखों का कारण बताया है। 

गौतम बुद्ध के अनुसार मनुष्य का जन्म लेना ही दुःख है। 

गौतम बुद्ध ने सांसारिक दुःखों के  सम्बन्ध में "4-आर्य-सत्यों" का उपदेश दिया है। 


"4-आर्य-सत्य" हैं :-

  1. दुःख (दुःख है)
  2. दुःख समुदाय (दुःख का कारण है)
  3. दुःख निरोध (दुःख का निवारण है)
  4. दुःख निरोधगामिनी प्रतिपदा (अष्टांगिक मार्ग का प्रयोग करो)

अष्टांगिक मार्ग (Ashtangik Marg) :-

इस सांसारिक दुःखों से मुक्ति लिए गौतम बुद्ध ने अष्टांगिक-मार्ग का अनुसरण करने को कहा है। 

अष्टांगिक मार्ग हैं :-

  1. सम्यक दृष्टि (अच्छा देखो)
  2. सम्यक संकल्प (अच्छा सोंचो)
  3. सम्यक वाणी (अच्छा बोलो)
  4. सम्यक कर्मान्त (अच्छा कर्म करो)
  5. सम्यक आजीव (अच्छा जीवन जियो)
  6. सम्यक व्यायाम (अच्छा और सहीं व्यायाम करो)
  7. सम्यक स्मृति (अच्छा याद रखो)
  8. सम्यक समाधि (सहीं तरह से समाधि लगाओ)

बुद्ध के अनुसार इन अष्टांगिक मार्गों के पालन करने से मनुष्य की तृष्णा समाप्त हो जाती है, और मनुष्य को निर्वाण की प्राप्ति हो जाती है। 

अष्टांगिक मार्ग की अवधारणा धर्मचक्रप्रवर्तन सुत्त का विषय है। 

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