* शिवाजी और मुगलों का संघर्ष *
बादशाह बनने के बाद औरंगजेब ने दक्षिण में मराठों के दमन को सर्वाधिक महत्व दिया।
1660 ई. में औरंगजेब ने अपने मामा शाइस्ता खां को दक्षिण की सुबेदारी सौंप दी, जिसका प्रमुख लक्ष्य था दक्षिण में शिवाजी की बढ़ती हुई शक्ति को दबाना।
शाइस्ता खां ने बीजापुर के सहयोग से शिवाजी द्वारा विजित किए गए पूना, चाकन एवं कल्याण किलों पर कब्ज़ा कर लिया।
किंतु शाइस्ता खां से मुक्ति पाने के लिए शिवाजी ने उसके पूना पहुंचने पर 15 अप्रैल 1665 को रात्रि के समय अपने लगभग 400 बहादुर सिपाहियों को साथ लेकर शाइस्ता खां के शिविर पर हमला कर दिया।
आक्रमण में मुगल सेना को काफी क्षति पहुंची और शाइस्ता खां को जान बचाकर भागना पड़ा जबकि उसका पुत्र फतेह खां मारा गया।
इस सफलता से शिवाजी की स्थिति काफी मजबूत हुई औरंगजेब ने क्रुद्ध होकर शाइस्ता खां को बंगाल भेज दिया।
तदुपरांत 1665 औरंगजेब ने आमेर के राजा जयसिंह को औरंगजेब में दक्षिण भेजा।
अफजल खां को शिवाजी ने कैसे मारा ?
*शिवाजी एवं जयसिंह का संघर्ष *
शिवाजी को कुचलने के लिए राजा जयसिंह ने बीजापुर के सुल्तान से संधि कर "पुरंधर के किले" को अधिकार में करने की योजना बनयी।
अपनी योजना के प्रथम चरण में 24 अप्रैल 1665 को "वज्रगड़ के किले" पर अधिकार कर लिया।
"पुरंधर के किले" की रक्षा करते हुए शिवाजी का अत्यंत वीर सेनानायक मुरारजी बाजी मारा गया।
पुरंधर के किले को बचा पाने में अपने को असमर्थ जान शिवाजी ने महाराजा जयसिंह से संधि की पेशकश की।
पुरंदर की संधि |
पुरंदर की संधि :-
दोनों संधि की शर्तों पर सहमत हो गए और 22 जून 1665 को "पुरंदर की संधि" संपन्न हुई।
संधि की शर्तों के अनुसार :-
- शिवाजी को मुगलों को अपने 23 किले जिनकी आमदनी 4 लाख हूण प्रतिवर्ष थी, देने थे।
- सामान्य आय वाले (लगभग एक लाख हूण वार्षिक) 12 किले शिवाजी को अपने पास रखने थे।
- शिवाजी ने मुगल सम्राट औरंगजेब की सेवा में अपने पुत्र शम्भाजी को भेजने की बात मान ली।
- मुगल दरबार में शम्भाजी को 5000 का मनसब एवं उचित जागीर देना स्वीकार किया गया।
- मुगल सेना के द्वारा बीजापुर पर सैन्य अभियान के समय शिवाजी को मुगल सेना की सहायता करनी थी।
- बदले में उसे कोंकण एवं बालाघाट की जागीरें प्रदान होती, जिसके लिए शिवाजी को मुगल दरबार को 40 लाख हूण देना था।
- जसवंत सिंह की मध्यस्थता से 9 मार्च 1668 को पुनः शिवाजी और मुगलों के बीच हुई।
- इस संधि के बाद औरंगजेब ने शिवाजी को फरमान एवं खिलअत भेंट किया था।
- इस प्रकार शिवाजी को बरार की जागीर दी गई और उनके पुत्र शम्भाजी को पुनः उनका मनसब (5000) प्रदान किया गया।
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