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महिला उत्पीड़न पर निबंध

 
* छत्तीसगढ़ में महिला उत्पीड़न *


            सृष्टि के सृजन और मानव-सभ्यता के विकास में, स्त्री-पुरुष दोनों की समान भूमिका रही है ,नारी अपने विभिन्न रूपों "माता, बहन, पत्नी, पुत्री" में पुरुषों को शक्ति प्रदान करती है। भारत में भिन्न-भिन्न कालो में महिलाओं की स्थिति गिरावट आती रही है। हमारा छत्तीसगढ़ भी इससे अछूता नहीं रहा। इसी कारणवश छत्तीसगढ़ में लिंगानुपात प्रति हजार पुरुषों में 991 महिलाएं ही हैं। अतः छत्तीसगढ़ में भी महिलाओं की स्थिति वर्तमान संदर्भ में अत्यधिक सोचनीय है। 


अबला जीवनहाय हायतेरी यही कहानी। 

आंचल में है दूध, आंखों में है पानी।।

 

            राष्ट्रकवि मैथिलीशरणगुप्त ने अपनी इस कविता के माध्यम से स्त्रियों की आंखों के आंसुओं को बयां किया है। छत्तीसगढ़ जैसे शांत प्रवृत्ति वाले प्रदेश में भी महिला के साथ अत्याचार व उनका उत्पीड़न हो रहा है।  जादू टोने में विश्वास व अंधविश्वास समाज में जड़ जमाए हुए हैं। जिसके कारण वश महिलाओं पर टोनही होने का आरोप लगाकर उन्हें दंडित किया जाता है, प्रताड़ना दी जाती है तथा कभी-कभी हत्या भी कर दी जाती है। 

 

Mahila-Utpidan
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            उसी प्रकार भ्रूण हत्या जैसे अपराध से भी छत्तीसगढ़ अछूता नहीं रहा। छत्तीसगढ़ का लिंगानुपात 991/1000 होना दर्शाता है कि यहां भ्रूण हत्या तथा कन्या हत्या होती है। कन्या हत्या या भ्रूण हत्या का कारण है :-

      • कन्याओं को बोझ समझना
      • दहेज प्रथा

 

            वर्तमान समय में दहेज प्रथा एक फैशन की वस्तु बन गई है। आज देखा देखी लोग खुले तौर पर दहेज की मांग करते हैं।  यहां तक की शादी हो जाने के बाद भी महिलाओं को दहेज के लिए प्रताड़ित करते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार शादीशुदा महिलाओं में से 72% महिलाएं दहेज उत्पीड़न सहती हैं। समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा ग्रहण करने से भी रोक देते हैं। 

 

Mahila-Utpidan
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            रिपोर्ट अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 65% बेटियां ही शिक्षा प्राप्त कर पाती हैं। बेटियों को बोझ समझने वाले लोग अपनी बेटियों का बाल विवाह कर देते हैं, जिसके कारण उन्हें शारीरिक और मानसिक शोषण से गुजरना पड़ता है। महिलाओं का व्यापारिक शोषण भी किया जाता है। यह बात सोचने की है कि आखिर क्यों महिलाओं की स्थिति में कितनी गिरावट आई। 

 

            इतिहासकारों के अनुसार प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता में भारत एक मातृ सत्तात्मक राज्य रहा था। अर्थात महिलाओं की स्थिति उच्च थी। वे शिक्षा लेती थी, घर संभालती थी तथा पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्यों में योगदान देती थी। किंतु उत्तर वैदिक काल के पश्चात महिलाओं की स्थिति में गिरावट आनी शुरू हुई। गुप्त काल के पश्चात सती-प्रथा बाल-विवाह, विधवाओं के पुर्न-विवाह पर रोक आदि कुरीतियों के कारण महिलाओं की समाज में स्थिति दयनीय होती चली गई। 

 

Mahila-Utpidan
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            नाबालिक लड़कियों को बहला-फुसलाकर देह-व्यापार तथा दिहाड़ी मजदूरी में लगाया जाता है। वहां भी उनका दैहिक और आर्थिक शोषण होता है। इसके साथ-साथ इंटरनेट के माध्यम से उन्हें परेशान व प्रताड़ित किया जाता है। सर्वे के अनुसार 90% लड़कियां कभी ना कभी इंटरनेट द्वारा प्रताड़ित की गई है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि समाज में लड़कियों के प्रति कितनी गंदी सोच भरी हुई है। किंतु आज महिलाएं सतत रूप से पुनः सशक्त हो रही है। 

 

            शिक्षा के प्रसार से लड़कियां अपने हक के लिए लड़ने लगी है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से महिला शिक्षा को बढ़ावा देने कार्य किए जा रहे हैं। कस्तूरबा गांधी योजना, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना, निशुल्क कंप्यूटर प्रशिक्षण योजना आदि योजनाओं के साथ-साथ विधानसभा चुनावों में 33% आरक्षण तथा ग्राम पंचायतों में 50% आरक्षण दिया जा रहा है। सरकारी नौकरियों में भी महिलाओं को 33% आरक्षण प्राप्त है। अनेक महिलाएं राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कर रही हैं। चाहे खेल जगत से जुड़ी रेणुका यादव या आकर्षी कश्यप जैसे खिलाड़ी हो या कला से जुड़ी हुई तीजनबाई व ममता चंद्राकर। 

 

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            शिक्षा के क्षेत्र में भी बेटियां लड़कों को पछाड़ कर निरंतर कीर्तिमान स्थापित करते जा रहीं हैं। सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न योजनाओं से महिलाओं को स्वरोजगार भी प्राप्त हो रहा हैतथा उनकी सहायता भी हो रही है। तेंदूपत्ता संग्राहक महिलाएं आज रोजगार पाकर स्वावलंबी बन गई है।  तो आईआईटी जैसे संस्थानों में महिलाओं द्वारा कैंटीन स्थापित कर प्रसिद्धि प्राप्त की। महिलाएं केवल यही तक सीमित नहीं रही है, बल्कि भिलाई की एक महिला किसान ने प्रति एकड़ सर्वाधिक फसल उत्पादन कर या दिखा दिया कि महिलाएं हर क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ कार्य कर सकती हैं। 

 

Mahila-Utpidan
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            महिलाओं को कमजोर समझने वाले समाज को यह समझना चाहिए कि महीला ही शक्ति का रूप है। दयावती नामक युवती ने महासमुंद जंगल सत्याग्रह के रैली के दौरान पुलिस अधीक्षक को थप्पड़ मार दिया था। बिलासा बाई के नाम से तो पूरा का पूरा बिलासपुर शहर बसा है। मिनीमाता छत्तीसगढ़ राज्य से प्रथम लोकसभा सांसद रही थी। 

 

            महिलाओं की स्थिति को बनाने सरकार द्वारा जो प्रयत्न किए जा रहे हैं वे सभी तभी सफल होंगी जब सामाजिक कुरीतियां समाप्त होगी। समाज में फैली पुरुषवादी सोच के स्थान पर समान अधिकार वाली सोच जागृत होगी। जब महिला भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करेगी तब समाज व देश दोगुनी गति से आगे बढ़ेगा। 

 

Mahila-Utpidan
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            छत्तीसगढ़ प्रदेश एक सभ्य प्रदेश है। पर यहां टोनही उत्पीड़न, भ्रूण हत्या, बाल विवाह जैसी कुप्रथाएं प्रचलित हो गई है जिसका कारण तो साफ दिखलाई पड़ता है -जागरूकता तथा शिक्षा की कमी। सरकार अपनी ओर से पूर्ण प्रयास कर रही है कि प्रदेश में आखरी घर तक शिक्षा का प्रसार हो। अतः प्रत्येक व्यक्ति को भी यह समझ लानी होगी की इनको प्रथाओं को खत्म कर शिक्षा के प्रकाश की ओर चले और देश के आर्थिक वृद्धि में सहायक बने। 

  

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