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बजट से संबंधित महत्वपूर्ण शब्दावली

बजट से संबंधित महत्वपूर्ण शब्दावली 


क्या होता है बजट ? 

एक वित्त वर्ष में सरकार कितना राजस्व प्राप्त करेगी और उसका सार्वजनिक वह कितना होगा इस बात की पूरी जानकारी मुहैया कराने को बजट कहा जाता है। बजट की घोषणा के दौरान ही सरकार तमाम योजनाओं की घोषणा भी करती है, क्योंकि योजनाओं को चलाने में भी सरकार का पैसा खर्च होता है। वही करारोपण समेत तमाम तरह की राहतों की घोषणा भी बजट में की जाती है। 

Budget
Budget


कितने तरह के होते हैं बजट :-

बजट मुख्य रूप से 3-प्रकार के होते हैं :-

  • बैलेंस बजट = सार्वजनिक आय और सार्वजनिक व्यय बराबर होता हैं। 
  • अधिशेष बजट = सार्वजनिक आय, सार्वजनिक व्यय से अधिक होती है। 
  • घाटे का बजट = सार्वजनिक व्यय, सार्वजनिक आय से अधिक होती है। 




वित्त विधेयक (Finance Bill) :-

संघीय बजट को पेश करने के तुरंत बाद जो बिल पास किया जाता है उसे वित्त विधेयक कहते हैं। वित्त विधेयक में सार्वजनिक आय के सभी स्त्रोतों को दर्शाया जाता है। 



विनियोग विधेयक (Appropriation Bill):-

वित्त विधेयक के साथ-साथ सरकार बजट के दूसरे भाग को भी सदन के सामने रखती है, जिसे (Appropriation Bill) यानी विनियोग विधेयक कहते हैं। इसमें सार्वजनिक व्यय की विभिन्न मदों की जानकारी रहती है। 



महंगाई दर (Inflation Rate):-

इसे प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है। महंगाई दर बढ़ने का आसान मतलब है की करेंसी का मूल्य कर रहा है और वस्तुओं तथा सेवाओं की कीमतों में वृद्धि हो रही है। 



राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit):-

सरकार की राजस्व प्राप्तियों से ऊपर किया गया सार्वजनिक व्यय राजकोषीय घाटा कहलाता है। 

राजकोषीय घाटा = राजस्व प्राप्तियां + पूंजी निवेश प्राप्तियां - सार्वजनिक व्यय 



राजकोषीय नीति (Fiscal Policy):-

अर्थव्यवस्था की गतिविधियों को संचालित करने के लिए जो सरकार द्वारा उठाए गए उपायों को राजकोषीय नीति में समाहित किया जाता है। करारोपण, सार्वजनिक व्यय, सार्वजनिक ऋण, घाटा वित्तीयन एवं राजकोषीय प्रबंधन राजकोषीय नीति के संगटक हैं। 



राजकोषीय अधिशेष (Fiscal Surplus):-

सार्वजनिक व्यय, सरकार की राजस्व प्राप्ति एवं पूंजी विनिवेश से कम रहने पर राजकोषीय अधिशेष की स्थिति होती है। हालांकि ऐसा कम ही होता है 



राजस्व घाटा (Revenue Deficit):-

राजस्व खाते की प्राप्ति एवं राजस्व खाते के व्यय के अंतर को राजस्व घाटा कहते हैं। 



प्राथमिक घाटा(Primary Deficit):- 

राजकोषीय घाटा में से पूर्व में लिए गए सार्वजनिक ऋण पर ब्याज भुगतान को घटाने पर प्राथमिक घाटा आता है। राजकोषीय घाटे में सरकार की तरफ से लिया जाने वाला कर्ज और पुराने कर्ज पर चुकाए जाने वाला ब्याज शामिल होता है। प्राथमिक घाटा में पुराने कर्ज चुकाने वाले ब्याज को नहीं जोड़ा जाता। 


विनिवेश (Disinvestment):-

जब सरकार अपनी संपत्तियों को बेचकर संसाधन जुटाती है तो उसे विनिवेश कहते हैं। सरकार सार्वजनिक क्षेत्रों की कंपनियों में हिस्सेदारी उसका आईपीओ लाकर भी बेचती है 



चालू खाते का घाटा (Current Account Deficit):- 

किसी देश के भुगतान संतुलन के चालू खाते में घाटे की स्थिति उस अवस्था में उत्पन्न होती है जब विदेशों में अर्जित विदेशी विनिमय (निर्यात प्राप्ति एवं अदृश्य प्राप्तियां) विदेशों को किए गए भुगतानों (आयात देयताएँ एवं अदृश्य मदों के भुगतान) से कम होते हैं। अन्य शब्दों में जब निर्यात आयत से कम हो  उसे चालू खाते का घाटा कहते हैं।  



व्यापार घाटा (Trade Deficit):-

व्यापार घाटा चालू खाते के घाटे का बहुत बड़ा हिस्सा होता है। निर्यात से अर्जित विदेशी विनिमय तथा आयात के लिए किए गए भुगतान का अंतर व्यापार घाटा है। 



जीडीपी (GDP):-

किसी देश में किसी निश्चित समय अवधि में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक योग को सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं। वैकल्पिक रूप से उत्पाद शुल्क, वस्तु एवं सेवा कर, आयात शुल्क, निर्यात शुल्क आदि खर्च के लिहाज से उपभोक्ता द्वारा और सरकार द्वारा जितनी रकम खर्च की जाती है उसे जोड़ने पर जो जीडीपी निकलता है। 



प्रत्यक्ष कर (Direct Tax):- 

किसी व्यक्ति या संस्थान की आय पर जो टैक्स लगते हैं, वह प्रत्यक्ष कर इस श्रेणी में आते हैं। इसमें आयकर, कॉरपोरेट कर, निगम कर और उत्तराधिकार कर, उपहार कर आदि शामिल हैं। 



अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax):-

वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन बिक्री या उपभोग पर लगाए जाने वाले ऐसे कर अप्रत्यक्ष कर कहलाते हैं, जिन्हें कोई करदाता किसी अन्य पर परिवर्तित कर सकता है। 


मौद्रिक नीति (Monetary Policy):-

मौद्रिक नीति ऐसी प्रक्रिया है जिसकी मदद से रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था में मुद्रा की आपूर्ति को नियंत्रण करता है। इसमें महंगाई पर अंकुश लगाया जाता है,  कीमतों में स्थिरता लाई जाती है और टिकाऊ आर्थिक विकास दर का लक्ष्य हासिल करने की कोशिश की जाती है। 

रोजगार के अवसर तैयार करना भी इसके उद्देश्य में से एक हैं। 

    1. रेपो दर 
    2. रिवर्स रेपो दर 
    3. सीमांत स्थायी सुविधा दर 
    4. बैंक दर 
    5. नकदी प्रारक्षित अनुपात 
    6. सांविधिक तरलता अनुपात, तथा 
    7. खुले बाजार की क्रियाएं मौद्रिक नीति के उपकरण हैं। 



राष्ट्रीय कर्ज (Nationa Debt):-

केंद्र सरकार के राजकोष में शामिल कुल कर्ज को राष्ट्रीय कर्ज कहते हैं।बजट घाटे को पूरा करने के लिए सरकार इस तरह के कर लेती है। 



बजट के बाहर से कर (Off Budget Borrowing):-

यह वह कर्ज होते हैं जो सरकार खुद नहीं लेती लेकिन इसे सरकार के निर्देश पर किसी सरकारी काम या प्रोजेक्ट के लिए ही लिया जाता है। 

उदाहरण के लिए सरकार का एक बड़ा खर्च होता है "खाद्य सब्सिडी" देना। वर्ष 2020-21 में सरकार ने कुल 1,51,000 करोड़ रूपये में से केवल 77,892 करोड़ का ही दिया। बाकी का बिल स्मॉल सेविंग फंड के जरिए चुकाया गया। यहां नेशनल सेविंग फंड के जरिए उधार लेना (Off Budget Borrowing) है। 





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