* विश्व में 44 लाख करोड़ रुपए से अधिक की Money-Laundering *
- विश्व में 44 लाख करोड़ रुपए से अधिक का लेन-देन अवैध
- Money-Laundering रोकने में विश्व की सरकारी नाकाम
- बैंकों की एसोसिएशन वोल्फसबर्ग ग्रुप के जॉन कुसेक के अनुसार 2018 में ₹43 लाख करोड़ से अधिक के वित्तीय अपराध हुए हैं।
- यह ग्लोबल GDP का 6.7% है।
- रिपोर्ट अनुसार मनी-लॉन्ड्रिंग रोकने के प्रयास बीते 5 सालों में कमजोर हुए हैं।
क्या है Money-Laundering :-
- मनी-लॉन्ड्रिंग अवैध तरीके से कमाए गए धन (काले-धन) को वैध धन (सफ़ेद-धन) में बदलने की एक गैरकानूनी प्रक्रिया है।
- मनी-लॉन्ड्रिंग से कमाया हुआ काला-धन वैध मुद्रा के रूप असली मालिक के पास पहुंच जाता है।
- मनी-लॉन्ड्रिंग से मुख्य रूप से आतंकवादियों को आर्थिक सहायता प्राप्त है।
- मॉरीशस को मनी-लॉन्ड्रिंग का स्वर्ग कहा जाता है, क्योकि यही से सबसे अधिक मनी-लॉन्ड्रिंग होती है।
Money-Laundring-Cycle |
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मनी-लॉन्ड्रिंग रोकने में सरकारें विफल :-
तस्करी और अन्य अपराधों से जुटाए जा रहे काले-धन को सफेद बनाने की प्रक्रिया money-laundering को रोकने में सरकारें विफल साबित हो रहे हैं। सॉफ्टवेयर कंपनी "फेनेर्गो" के अनुसार पिछले साल ग्लोबल बैंकों को मनी-लॉन्ड्रिंग नियमों के उल्लंघन पर 77,000 करोड रुपए से अधिक जुर्माना चुकाना पड़ा था। यह 2019 के मुकाबले 80% अधिक है। 3 साल पहले विश्व में 43 लाख करोड़ रुपए से अधिक अवैध धन की हेराफेरी का अनुमान है। बारीकी से देखने पर पता चलता है कि "मनी-लॉन्ड्रिंग" के खिलाफ ग्लोबल सिस्टम एएमएल (Anti Money Laundering) में गंभीर खामियां हैं।
वित्तीय अपराध विशेषज्ञ "रोनाल्ड पोल" की स्टडी का निष्कर्ष है किएएमएल सिस्टम विश्व की सबसे प्रभावहीन नीति हैं। बैंकों और अन्य व्यवसायों के लिए इनका पालन करने का खर्च लॉन्ड्रिंग के जरिए लूटी गई रकम से 100 गुना अधिक है। 2001 में 9/11 हमले के बाद अमेरिका में आतंकवाद और अन्य गतिविधियों के लिए धन की आवाजाही को रोकने का कानून पास होने के बाद इस अवैध कारोबार को रोकने के प्रयास बढ़े हैं, फिर भी 20 साल पहले की तुलना में आज कंपनियां बनाकर पैसे को यहां से वहां भेजना अधिक आसान है।
धन-शोधन निवारण अधिनियम, 2002 :-
Prevention Of Money Laundring Act-2002 :-
- मनी-लॉन्ड्रिंग और काले धन प्रवाह को रोकने भारतीय संसद द्वारा यह अधिनियम पारित किया गया है।
- यह अधिनियम 1 जुलाई, 2005 से प्रभावी हुआ।
- अभी तक इस अधिनियम में 3 संशोधन वर्ष 2005, 2009 और 2012 में संशोधन किए गये हैं।
Bhart |
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