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बौद्ध धर्म में निर्वाण क्या है

 

* निर्वाण *

  • निर्वाण ही बौद्ध धर्म का परम लक्ष्य है, जिसका अर्थ है "दीपक का बुझ जाना"- अर्थात जीवन मरण चक्र से मुक्त हो जाना। 
  • महात्मा बुद्ध के अनुसार मनुष्य निर्वाण इसी जीवन में प्राप्त करता है। 
  • महात्मा बुद्ध भी निर्वाण प्राप्ति के बाद काफी दिन तक जीवित हैं। 
  • इनके अनुसार महापरिनिर्वाण मृत्यु के बाद भी संभव है। 
  • महात्मा बुद्ध ने निर्वाण प्राप्ति को सरल बनाने हेतु 10 शीलों पर विशेष बल दिया है 

                यह शील हैं -

        1. अहिंसा 
        2. सत्य 
        3. अस्तेय 
        4. व्यभिचार से बचना 
        5. शराब के सेवन से बचना 
        6. समय से भोजन ग्रहण करना 
        7. कोमल शैय्या पर सोने से बचना 
        8. धन संचय से बचना 
        9. स्त्रियों से दूर रहना 
        10. नृत्यगान आदि से दूर रहना 

  • सामान्यत: मनुष्यों के लिए बुद्ध ने जिस धर्म का उपदेश दिया उसे "उपासक धर्म" कहा गया है। 
  • यह भिक्षु धर्म से भिन्न है। 
  • दीर्घ निकाय के सिंगारलोवादसुत्त में इस धर्म का विवरण प्राप्त होता है


Nirwan
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