* निर्वाण *
- निर्वाण ही बौद्ध धर्म का परम लक्ष्य है, जिसका अर्थ है "दीपक का बुझ जाना"- अर्थात जीवन मरण चक्र से मुक्त हो जाना।
- महात्मा बुद्ध के अनुसार मनुष्य निर्वाण इसी जीवन में प्राप्त करता है।
- महात्मा बुद्ध भी निर्वाण प्राप्ति के बाद काफी दिन तक जीवित हैं।
- इनके अनुसार महापरिनिर्वाण मृत्यु के बाद भी संभव है।
- महात्मा बुद्ध ने निर्वाण प्राप्ति को सरल बनाने हेतु 10 शीलों पर विशेष बल दिया है
यह शील हैं -
- अहिंसा
- सत्य
- अस्तेय
- व्यभिचार से बचना
- शराब के सेवन से बचना
- समय से भोजन ग्रहण करना
- कोमल शैय्या पर सोने से बचना
- धन संचय से बचना
- स्त्रियों से दूर रहना
- नृत्यगान आदि से दूर रहना
- सामान्यत: मनुष्यों के लिए बुद्ध ने जिस धर्म का उपदेश दिया उसे "उपासक धर्म" कहा गया है।
- यह भिक्षु धर्म से भिन्न है।
- दीर्घ निकाय के सिंगारलोवादसुत्त में इस धर्म का विवरण प्राप्त होता है
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