* संसद का संयुक्त अधिवेशन *
- संविधान के अनुच्छेद-108 के तहत संसद के दोनों सदनों के बीच असहमति का हल ढूंढने के लिए दोनों सदनों (राज्यसभा और लोकसभा) की संयुक्त बैठक का उपबंध है।
Anuched-108
संविधान के अनुसार संसद का संयुक्त अधिवेशन निम्नलिखित स्थिति में बुलाया जाता है :-
- लोकसभा के लिए प्रत्येक साधारण निर्वाचन के बाद प्रथम सत्र के आरंभ में इसमें राष्ट्रपति अपना अभिभाषण देता है।
- प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरंभ में, उसमें भी राष्ट्रपति अपना अभिभाषण देता है।
- यदि संसद के दोनों सदनों के बीच धन विधेयक को छोड़कर अन्य किसी विधेयक (जिसमें वित्त विधेयक भी सम्मिलित हैं) को पारित कराने को लेकर गतिरोध उत्पन्न हो गया होगा संविधान के अनुच्छेद-108 के तहत संविधान के दोनों सदनों के बीच और सहमति का हल ढूंढने के लिए दोनों सदनों की संयुक्त बैठक का उपबंध है।
असहमति इस प्रकार हो सकती हैं :-
- यदि संसद का एक सदन किसी विधेयक को पारित करके दूसरे सदन को भेजता है और यदि दूसरा सदन उस विधेयक को अस्वीकार कर देता है। या
- दूसरे सदन द्वारा विधेयक में किए गए संशोधन से पहला सदन असहमत है। या
- दूसरा सदन विधेयक को 6 माह तक अपने पास रोके रहता है, तो राष्ट्रपति दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को बुला सकता है।
संयुक्त बैठक बुलाने की अधिकारिता किसकी है :-
संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार राष्ट्रपति ही दोनों सदनों के बीच असहमति होने पर उनकी संयुक्त बैठक आहूत करने के अपने आशय की अधिसूचना देता है।
यदि विधेयक लोकसभा का विघटन होने के कारण व्यपगत हो गया हो तो राष्ट्रपति द्वारा ऐसी अधिसूचना नहीं निकाली जाएगी, किंतु यदि राष्ट्रपति ने संयुक्त बैठक करने के अपने आशय की अधिसूचना जारी कर दी है तो लोकसभा के प्रश्चावर्ती विघटन से संयुक्त बैठक में कोई बाधा नहीं आएगी।
संसद-भवन |
संयुक्त बैठक की अध्यक्षता :-
ऐसी संयुक्त बैठक की अध्यक्षता लोकसभा का अध्यक्ष करता है।
लोकसभा अध्यक्ष की अनुपस्थिति में ------ लोकसभा का उपाध्यक्ष, या
लोकसभा के उपाध्यक्ष अनुपस्थित में ----- राज्यसभा का उपसभापति,
राज्यसभा के उपसभापति अनुपस्थित में --- ऐसे अन्य व्यक्ति जो उस बैठक में उपस्थित सदस्यों द्वारा चुना जाए।
{{ अनुच्छेद-118(4) के अनुसार :- लोकसभा के अध्यक्ष की अनुपस्थिति में वह व्यक्ति पीठासीन होगा जो राष्ट्रपति द्वारा बनाई गई प्रक्रिया के नियमों द्वारा आधारित हो।
यह नियम राज्यसभा के सभापति और लोकसभा के अध्यक्ष के परामर्श से बनाए जाएंगे। }}
गणपूर्ति :-
संसद के संयुक्त अधिवेशन के लिए गणपूर्ति दोनों सदनों के सदस्यों की कुल संख्या का 1/10वां भाग होता है।
संयुक्त बैठक के लिए नियम कैसे बनाये जाते हैं :-
लोकसभा का अध्यक्ष जो की संयुक्त बैठक का पीठासीन होता है संयुक्त बैठक की प्रक्रिया ऐसे रुप, भेदों तथा परिवर्तनों के साथ लागू करता है जैसा वह आवश्यक अथवा उचित समझता है।
संयुक्त बैठक की कार्यवाही का दस्तावेज कौन तैयार करता है:-
लोकसभा का महासचिव प्रत्येक संयुक्त बैठक की कार्यवाही का संपूर्ण दस्तावेज तैयार करता है तथा उसे यथाशीघ्र ऐसे रूप में तथा ऐसे नीति से प्रकाशित करता है जैसा कि अध्यक्ष समय-समय पर निर्देश देता है।
संयुक्त बैठक के विषय क्या होते है :-
अनुच्छेद-108 द्वारा संयुक्त बैठक की प्रक्रिया केवल सामान्य विधेयक तक ही सीमित है।
संयुक्त बैठक संविधान संशोधन के लिए नहीं बुलाया जा सकता।
अब तक संसद का संयुक्त अधिवेशन कितनी बार बुलाया गया है :-
अब तक केवल 3 बार ही संसद का संयुक्त अधिवेशन विवादित विधेयक को पारित करवाने के लिए बुलाया गया है।
कब | प्रधानमंत्री | क्यों बुलाया गया? |
1) 1961 | पंडित जवाहरलाल नेहरू | दहेज विरोधी अधिनियम को पारित कराने के लिए |
2) 1978 | मोरारजी देसाई | बैंकिंग सेवा आयोग पर विचार करने हेतु |
3) 2002 | अटल बिहारी वाजपेयी | आतंकवाद विरोधी विधेयक-2002 को पारित कराने |
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