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पर्यावरण के सैनिक -श्री नरेंद्र गोस्वामी

पर्यावरण के सैनिक -श्री नरेंद्र गोस्वामी


5 जून के दिन को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में बनाया जाता है। पर्यावरण के ह्यस के कारण पृथ्वी पर जो अनचाहे जलवायु परिवर्तन हो रहे हैं, उसके लिए जागरूकता फैलाने यह दिन मनाया जाता है। पर्यावरण की सुरक्षा प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है।  कुछ लोगो इसे पूरी ईमानदारी से निभाते है, तो कुछ लोग आज भी पर्यावरण के प्रति असंवेदनशील हैं। 

आज मैं आप लोगो को छत्तीसगढ़ के रायपुर निवासी श्री नरेंद्र गोस्वामी के विषय में बताना चाहता हूँ, जिनसे प्रेरणा पाकर आपको भी पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपने कर्तव्यों का अहसास होगा। 




गोस्वामी जी पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर  कार्यरत एक शासकीय कर्मचारी हैं। रायपुर के नगरीकरण के दौर में जहां तेजी से वृक्षों की कटाई हो रही थी, तब रायपुर के चांगोराभाठा स्थित महादेवा तालाब की स्थिति भी बिल्कुल उजाड़ हो गई थी। जो तालाब कुछ वर्षों पूर्व आम के पेड़ों से आच्छादित रहता था, वह अब बिल्कुल ही उजाड़ हो चुका था। 



पुराने दिनों को लौटने की ठानी :-

गोस्वामी जी ने ठाना कि इस तालाब के क्षेत्र को फिर से पुराने दिनों की तरह ही हरा-भरा बनाना है, ताकि शुद्ध हवा मिल सके, सुबह उठकर घूमने वालों को ताजी हवा मिल सके और पर्यावरण को भी कुछ लाभ हो। 



लगाए 3 दर्जन से भी अधिक पेड़ :-

गोस्वामी जी ने यहां 30 बेल के पेड़ तथा 10 आम के पेड़ लगाएं हैं। उनको देखकर लोगों में भी जागरूकता आई और लोगों ने भी अपने-अपने स्तर पर साथ देते हुए पेड़ लगाना शुरू किया। गोस्वामी जी ने निजी खर्च पर पेड़ की सुरक्षा के लिए 6 फिट ऊँचे ट्री-गॉर्ड बनवाये, खाद और मिट्टी मंगाए। कीड़ो से बचने लगातार कीटनाशकों का छिड़काव किया और पौधों को पानी देने को अपनी दिनचर्या में शामिल कर लिया। 






बदल चुकी है स्थिति :-

आज इस महादेव तालाब की स्थिति बिल्कुल बदल गई है। 

अब यह तालाब पहले की तरह खूबसूरत लगता है। चारों तरह हरे-भरे पेड़ हैं। ताजी और शुद्ध हवा हैं और घोर गर्मी में ठंडक का अहसास होता हैं। अब यहाँ आने पर मन को शान्ति मिलती है। हरियाली के कारण लोग भी अब यहाँ घुमने आते है। 







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