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1857 की क्रांति के कारण


1857 की क्रांति 

1857-की-क्रांति


1856 में कैनिंग गवर्नर जनरल बनकर आया। उसके आगमन तक लगभग संपूर्ण भारत का राजनीतिक-प्रशासनिक एकीकरण हो चुका था, पर अंग्रेजी राज के औपनिवेशिक शोषण-उत्पीड़न के कारण जनता में व्यापक असंतोष था। जिसने 1857 में विराट विद्रोह को जन्म दिया। इस विद्रोह ने ब्रिटिश शासन की जड़े तक हिला दी। इसका आरंभ तो कंपनी की सेना के भारतीय सिपाहियों द्वारा की गई थी, लेकिन जल्द ही इसकी परिधि के अन्य वर्ग के लोग भी  सम्मिलित होने लगे। यह विद्रोह सरकार की नीतियों के विरुद्ध जनता के दिलों में संचित असंतोष एवं विदेशी सत्ता के प्रति घृणा का परिणाम था। प्रशासनिक, आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक क्षेत्रों में अंग्रेजों की नीतियों ने जो अस्त-व्यस्तता एवं असंतोष की भावना पैदा की उसकी अभिव्यक्ति सेना, सामंत और जनता के माध्यम से 1857 के विप्लव में हुई। 



कारण :- 1857 की क्रांति के कई कारण थे, जो इस प्रकार हैं:-           

  • आर्थिक कारण
  • राजनीतिक कारण
  • सामाजिक कारण
  • धार्मिक कारण
  • सैनिक कारण
  • तात्कालिक कारण


आर्थिक कारण :-

जन असंतोष का संभवतः सबसे महत्वपूर्ण कारण अंग्रेजों द्वारा देश का आर्थिक शोषण तथा देश के परंपरागत आर्थिक ढांचे का विनाश था। अंग्रेज सरकार की आर्थिक नीतियों का दुष्प्रभाव भारत के कृषकों, जमींदारों, कारीगरों पर पड़ा और उनमें असंतोष की भावना व्याप्त होती गई। 

  • विभिन्न भू-राजस्व व्यवस्थाओं, भू-राजस्व की अत्यधिक दर, जमींदार और कर्मचारियों द्वारा अनुचित वसूली, बेदखली, भ्रष्टाचार, महाजनी शोषण से कृषकों की हालत दयनीय हो गई। 
  • लॉर्ड विलियम बेंटिक ने अपने शासनकाल में बहुत सी कर मुक्त भूमि छीन ली। पुराने जमींदारों और तालुकेदारों के पुश्तैनी अधिकार छीन लिए। 
  • औद्योगिकरण की नीति से भारतीय दस्तकार, कुटीर उद्योग एवं व्यापारी तबाह हो गया फलतः सर्वत्र गरीबी, बेकारी, भुखमरी फैली। 
  • आपदाओं यथा सूखा, अकाल, बाढ़, महामारी में सरकारी मदद का अभाव। 
  • भारतीय संपदा का निष्कासन तीव्र गति से इंग्लैंड की ओर हुआ। 



राजनीतिक कारण :-

  • मुगल सम्राट का अनादर, बहादुरशाह के बाद बादशाह की उपाधि समाप्त करने एवं मुगलों को लाल किले से हटाने का निर्णय। 
  • डलहौजी ने अपनी हड़प नीति द्वारा सातारा, जैतपुर, सम्बलपुर, बघाट, झाँसी, नागपुर को भारतीय साम्राज्य में मिला लिया। झांसी के विलय का रानी लक्ष्मीबाई ने तीव्र विरोध किया। 
  • गोद लेने के अधिकार से वंचित करने वाली इस हड़प नीति से हिंदुनाराज थे। 
  • अवध का कुशासन के आधार पर विलय कर डलहौजी ने वहां की जनता, तालुकेदाल एवं अंग्रेजी सेना में नियुक्त अवध क्षेत्र के सिपाहियों को नाराज कर दिया। 
  • अंग्रेजों की राज्य विस्तार एवं विलय की नीति से असंतोष फैला। नाना साहब सहित अन्य की पेंशन समाप्ति एवं पदों की समाप्ति से असंतोष। 
  • अंग्रेजों द्वारा पुरानी व्यवस्था खत्म करने से पुरानी प्रशासन व्यवस्था से जुड़े व्यक्ति लाभार्थियों में असंतोष फैला। 



सामाजिक कारण :-

  • अंग्रेजों ने पाश्चात्य शिक्षा, संस्कृति के प्रसार का प्रयास किया, जिससे रूढ़िवादी भारतीयों में आशंका और असंतोष फैला। 
  • सती प्रथा पर प्रतिबंध (1829), विधवा पुनर्विवाह अधिनियम (1856), कन्या हत्या पर प्रतिबंध रूढ़िवादी भारतीयों को स्वीकार नहीं था। 
  • अंग्रेजों की "वर्ण भेद की नीति" एवं व्यवहार से भी भारतीय जनता उद्वेलित थी। 
  • पारंपरिक उच्च-मध्य वर्ग जैसे राज-सहायता प्राप्त मौलवी, पंडित, दरबारी, कलाकार और हस्तशिल्प वर्ग अपने रोजगार और आय का जरिया छिन जाने से असंतुष्ट थे। 



धार्मिक कारण :-

  • ईसाई धर्म के प्रचार हेतु धर्म परिवर्तन का प्रयास। 
  • धार्मिक निर्योग्यता अधिनियम 1856 ।
  • धर्म प्रचारकों द्वारा भारतीयों के देवी-देवताओं, संतों, महापुरुषों, रीति-रिवाजों, परंपराओं की तीखी आलोचना। 
  • धार्मिक विशेष अधिकारों का अंत। 
  • नवीन शिक्षा पद्धति तथा शिक्षण संस्थाओं को जिनमें से कईयों की स्थापना ईसाई धर्म प्रचारकों ने की थी, संदेह के दृष्टि से देखा जाता था। 
  • अंग्रेजों द्वारा रेल, डाक एवं तार क्षेत्र में किए गए कार्यों को भारतीयों में मात्र धर्म के प्रचार का माध्यम मानने के कारण अंग्रेजों के प्रति उनके मन में विद्रोही भावना भड़क उठी। 



सैनिक कारण :-

  • अंग्रेजों की सेना में भारतीय सैनिकों के लिए पदोन्नति के रास्ते बंद हैं। भारतीयों के लिए उच्चतम पद सूबेदार था। 
  • यूरोपीय सैनिकों के मुकाबले वेतन भी अत्यंत कम था। 
  • सिंध, पंजाब के विलय के बाद सैनिकों को विदेशी भत्ता देना बंद कर दिया गया। 
  • भारतीयों सैनिकों को धार्मिक प्रतीकों जैसे टीका, दाढ़ी, पगड़ी के प्रयोग की स्वतंत्रता नहीं थी। 
  • कैनिंग के समय जनरल सर्विस एनलिस्टमेन्ट एक्ट  लागू किया गया, जिसके अनुसार समुद्र पार सेवा देना अनिवार्य बना दिया गया, जबकि उस समय के हिंदुओं का विश्वास था कि समुद्र पाए जाने से धर्म भ्रष्ट हो जाता है। इस प्रकार अन्य भारतीयों की तरह भारतीय सैनिकों में भी विश्वास बैठ गया कि उनका धर्म खतरे में है। 
  • अंग्रेजी सेना में बहुत बड़ी संख्या अवध के सैनिकों की थी। ये सैनिक अपने नवाब के अपमान से क्रोधित थे। 



तात्कालिक कारण :-

  • इन परिस्थितियों में कंपनी सरकार ने एनफील्ड राइफल का प्रयोग किया, जिसके कारतूस के पैकेट को दांतो से काटना पड़ता था। सैनिकों को जानकारी मिली कि कारतूस में गाय और सुअर की चर्बी का प्रयोग होता है, इससे हिंदू और मुसलमान दोनों वर्गों के सैनिक की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची और उनमें रोष व्याप्त हो गया। धर्म छीन जाने का भय विद्रोह के भड़कने का तात्कालिक कारण बना। सैनिकों ने धर्म भ्रष्ट होने के बजाय ऐसे पतित शासन का अंत करना उचित समझा। 


विस्फोटक स्थिति पहले से विद्यमान थी, चर्बी वाले कारतूस ने इस मामले में चिंगारी का कार्य किया और क्रांति आरंभ हो गई। 





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