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शिवाजी का जन्म, विजयें, मृत्यु (जीवन परिचय)

* शिवाजी *

Shivaji
शिवाजी


  • जन्म     ---    20 अप्रैल 1627 को
  • स्थान     ---    शिवनेर नामक स्थान पर (पूना के उत्तर में स्थित जुन्नार नगर के समीप)  
  • पिता का नाम     ---    शाहजी भोंसले (भोंसले वंश के) 
  • माता का नाम     ---    जीजाबाई (देवगिरी के जागीरदार यादवराय के पुत्री)
  • शिवाजी के अस्तित्व पर सर्वाधिक प्रभाव पड़ा     ---    उनकी मां जीजाबाई का 

"रानाडे के अनुसार -- यदि किसी भी महापुरुष की उन्नति का श्रेय उसकी माता की शिक्षा को दिया जा सकता है तो जीजा बाई का शिवाजी के जीवन पर सर्वोपरि प्रभाव पड़ा था। वह शिवाजी की शक्ति का मुख्य स्त्रोत थीं।"


  • शिवाजी संरक्षक थे     ---    दादाजी कोंणदेव 
  • आध्यात्मिक क्षेत्र में शिवाजी के आचरण पर प्रभाव     ---    गुरु रामदास का 
  • गुरु रामदास संप्रदाय के थे     ---    धारकरी संप्रदाय के थे 
  • गुरु रामदास की रचना     ---    दासबोध नामक ग्रंथ की रचना की 
  • राष्ट्रप्रेम की भावना, देवता, गौ, ब्राह्मण तथा धर्म की रक्षा करने की प्रेरणा शिवाजी को मिली    ---   गुरु रामदास से 

  • शिवाजी की मृत्यु     ---    14 अप्रैल 1680 को 53 वर्ष की आयु में  



यदुनाथ सरकार ने लिखा है कि -- "मैं शिवाजी को हिंदू प्रजाति का अंतिम रचनात्मक प्रतिभा संपन्न व्यक्ति और राष्ट्र निर्माता मानता हूं।"


  • शिवाजी का मूल उद्देश्य था     ---    मराठों की बिखरी हुई शक्ति को एकत्रित करके महाराष्ट्र में एक स्वतंत्र राष्ट्र राज्य की स्थापना करना। 
  • शिवाजी ने उपाधि धारण की     ---    
              1. हिंदू पद पादशाही, 
              2. हिंदुत्व धर्मोद्धारक 


  • उनके द्वारा हिंदू पद पादशाही शब्द को स्वीकार करना स्वीकार करना मराठा स्वराज्य को सही-सही परिभाषित करता है ना कि हिंदू स्वराज्य को 
  • 1640 ईस्वी में 12 वर्ष की आयु में शिवाजी का विवाह हुआ     ---    साईंबाई निंबालकर से 
  • शिवाजी की दूसरी पत्नी थी     ---    पुल्ताबाई 
  • शाह जी ने शिवाजी को पूना की जागीर प्रदान कर खुद बीजापुर रियासत में नौकरी कर ली।  
  • शिवाजी ने किस प्रदेश को अपने जीवन के प्रारंभिक कर्म स्थली बनाई     ---    "मावल प्रदेश" को 
  • अपने साथ योग्य एवं परिश्रमी नव युवकों को एकत्र कर उनके सहयोग से एक के बाद एक किलो को जीतने का क्रम प्रारंभ किया। 

शिवाजी



शिवजी का किलों को जितने का क्रम:-

  • सर्वप्रथम 1643 में शिवाजी ने बीजापुर की सिंहगढ़ के किले का अधिकार किया। 
  • इसके पश्चात अपने सैन्य अभियान के अंतर्गत 1646 में शिवाजी ने बीजापुर के तोरण नामक पहाड़ी किले पर अधिकार किया। 
  • तोरण के किले की लूट से प्राप्त धन द्वारा शिवाजी ने तोरण से करीब 5 मील पूर्व में रायगढ़ नामक एक नवीन किले का निर्माण करवाया। 
  • 1648 में शिवाजी ने पुरंदर किले को छल द्वारा नीलोजी नीलकंठ से छीन लिया। 


जावली का किला:-

  • 25 जनवरी 1656 को शिवाजी ने "जावली के किले" को मराठा सरदार चंद्रराव मोरे के कब्जे से ले लिया। 
  • जावली का किला सामरिक दृष्टि से बड़ा महत्वपूर्ण था। 
  • जावली की विजय के बाद शिवाजी की स्थिति एवं आर्थिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हो गई अप्रैल 1656 में शिवाजी ने रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाया 
  • चंद्रराव मोरे शिवाजी के विरुद्ध बीजापुर राज्य से मिला गया। 


1656 तक शिवाजी ने चाकन, बारामती, सूपा, तिकोना तथा लोहागढ़ आदि विभिन्न किलो पर अधिकार कर लिया। 



शिवाजी का राज्याभिषेक :-

  • 16 जून 1674 में शिवाजी ने अपनी घोषित राजधानी रायगढ़ में अपना राज्याभिषेक कराया। 
  • साथ ही उपाधि भी धारण की --- "छत्रपति""हैंदव धर्मोद्धारक""गौ ब्राम्हण प्रतिपालक" की
  • राज्याभिषेक करवाया ----    काशी के विद्वान पंदिर श्री विश्वेश्वर गंगाभट्ट द्वारा
 
  • राज्याभिषेक के बाद शिवाजी का अंतिम महत्वपूर्ण अभियान था ----   कर्नाटक का अभियान (1676)

रायगढ़-का-किला 

रायगढ़-का-किला


शिवाजी द्वारा जीते किले:-

        • सिंहगढ़ का किला  ----- 1643 
        • तोरण का किला -------- 1646 
        • पुरंधर का किला --------- 1648 
        • जावली का किला ------- 1656 
        • चाकन का किला --------1656
        • बारामती का किला ------ 1656
        • सूपा का किला-----------1656
        • तिकोना का किला------- 1656
        • लोहागढ़ का किला------ 1656


पहली बार मुगलों से मुकाबला:-

  • 1657 में शिवाजी का मुकाबला पहली बार मुगलों से हुआ। 
  • दक्षिण के सूबेदार "औरंगजेब" के बीजापुर पर आक्रमण करने पर बीजापुर ने शिवाजी की सहायता मांगी। 
  • जिसे शिवाजी ने स्वीकार कर लिया उन्होंने मुगलों के दक्षिण-पश्चिम भाग पर आक्रमण के साथ जुन्नार को लूटना और मुगलों को तंग करना जारी रखा। 



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