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Sansad Ki Vidhayi Prakriya (संसद की विधायी प्रक्रिया)

* संसद की विधायी प्रक्रिया *

vidheyak ke prakar,vidheyak kise kahate hain
विधेयक

**विधेयक क्या होते हैं :- 

            जब किसी प्रस्ताव को लोकसभा, राज्यसभा से पारित किया जाता है, तो उसे विधेयक कहते हैं। विधेयक को कोई कानूनी शक्ति प्राप्त नहीं होती।  जब ऐसे विधेयक पर राष्ट्रपति हस्ताक्षर कर दे, तो यह अधिनियम के रूप में प्रयुक्त हो जाता है और उसे क़ानूनी शक्ति प्राप्त होती है। 

संसद में पेश किये जाने वाले विधेयक और पारित करने की प्रक्रिया के अनुसार विधेयक को 5 भागों में बाँटा जा सकता है :-

      1. सरकारी विधेयक
      2. गैर-सरकारी विधेयक
      3. धन विधेयक
      4. विनियोग विधेयक
      5. वित्त विधेयक

1) सरकारी विधेयक :

  • अनुच्छेद-107 के अनुसार सरकारी विधेयक के सम्बन्ध में उपबंध किया गया है। 
  • ऐसे विधेयक जो मंत्रिपरिषद के माध्यम से संसद के समक्ष रखें जाते हैं सरकारी विधेयक कहे जातें हैं। 
  • विधेयक पेश करने से 2 दिन पहले विधेयक की प्रति सभी सदस्यों को दी जानी चाहिए। 
  • किसी भी विधेयक का सदन में 3 बार वाचन होता है। 

2)गैर-सरकारी विधेयक :

  • जो विधेयक मंत्रिपरिषद के सदस्यों के अतिरिक्त संसद के किसी भी सदस्य द्वारा संसद में पेश किया जाता है, उसे गैर-सरकारी विधेयक कहते हैं। 
  • गैर-सरकारी विधेयक को पेश करने के लिए प्रत्येक शुक्रवार को ढाई घंटे समय नियत है। 
  • गैर-सरकारी विधेयक को पेश करने पहले अध्यक्ष या सभापति को एक माह पूर्व सूचना देनी होती है। लेकिन अध्यक्ष या सभापति इसे अल्प सूचना पर भी पेश करने की अनुमति दे सकता है। 
  • इसे पारित करने  अधिनियम के रूप में प्रवर्तित करने लिए वही प्रक्रिया अपनायी जो सामान्य विधेयक के लिए अपनायी जाती है। 



3) धन विधेयक :

  • अनुच्छेद-110 के अनुसार धन विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति से लोकसभा में पेश किया जाता है।
  • कोई विधेयक धन विधेयक है इसका निर्णय लोकसभा का अध्यक्ष करता है। 
  • लोकसभा में पारित किये जाने के बाद इसे राज्यसभा में पेश किया जाता है। 
  • राज्यसभा, धन विधेयक पर कोई संशोधन नहीं कर सकता।  केवल सिफारिश कर सकता है। 
  • राज्यसभा इस विधेयक को 14 दिन से अधिक नहीं रोक सकता। 

4) विनियोग विधेयक :

  • संसद विनियोग विधेयक पारित करके भारत सरकार को भारत की संचित निधि से धन निकालने की अनुमति देता है। 
  • इस विधेयक केवल लोकसभा में ही पेश किया जाता है, तथा इस विधेयक पर विचार विमर्श केवल उन्हीं मदों तक सीमित होता है जिन्हे अनुदानो और आगणनों के विचार विमर्श में शामिल न किया गया हो। 
  • विनियोग विधेयक के पूर्व लोकसभा ने जिन अनुमानों को स्वीकार कर लिया हो उन पर ना तो कोई संशोधन पेश किया जा सकता है और ना ही अनुदान के लक्ष्य को बदला जा सकता है तथा ना ही उस धनराशि में परिवर्तन किया जा सकता है जिसकी अदायगी भारत की संचित निधि से की जानी होगी। 
  • लोकसभा द्वारा द्वारा विधेयक को पारित किए जाने पर इसे राज्यसभा को भेजा जाता है। 
  • राज्यसभा विनियोग विधेयक को अपने यहां 14 दिनों से अधिक अधिक नहीं रोक सकता और ना ही उसमें कोई संशोधन कर सकता है। 




5) वित्त विधेयक : 
  • संविधान का अनुच्छेद-112 वित्त विधेयक को परिभाषित करता है। 
  • जिन वित्तीय प्रस्तावों को सरकार आगामी वर्ष के लिए सदन में प्रस्तुत करती है उन्हें वित्तीय प्रस्तावों को मिलाकर वित्त विधेयक की रचना होती है। 
  • इस प्रकार जब धन विधेयक में कानूनी प्रावधान जोड़ दिए जाते हैं तो उसे वित्त विधेयक कहा जाता है। 
  • वित्त विधेयक को केवल लोकसभा में प्रस्तुत किया जाता है और वित्त विधेयक के संबंध में "राज्यसभा तथा लोकसभा" को वही शक्तियां प्राप्त है जो धन विधेयक तथा विनियोग विधेयक के संबंध में है




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