* भारत पाकिस्तान संबन्ध *
भारतीय सेना |
“हम अपने दोस्त बदल सकते हैं पर पड़ोसी नहीं”
.....………अटल बिहारी वाजपेयी
आज का पाकिस्तान अपनी मूल स्थिति में अखंड और विशाल भारत का
ही कटा हुआ अंग है, जो सर 1947 में अस्तित्व में आया। उसके
विपरीत भारत का एक प्राचीन इतिहास, परंपरा और संस्कृति है। किंतु मुस्लिम देश होते
हुए भी पाकिस्तान की अपनी कोई परंपरा, सभ्यता व संस्कृति
नहीं है। वस्तुतः भारतीय संस्कृति सभ्यता का एक कट्ठा छटा तथा बलातधर्म परिवर्तन
करने वाला देश है। वर्तमान समय में भारत और पाकिस्तान के मध्य संबंध अत्यंत विषम
है। विश्व में इन दो देशों को प्रबल शत्रु माना जाता है। भारत का ही एक अंग होने
के नाते भारत हमेशा से पाकिस्तान की गलतियों को छोटा भाई मानकर क्षमा करता आया है। किंतु पाकिस्तान की ओर से सदैव निराशा ही हाथ लगी है।
अखंड भारत का विभाजन सन 1947 में धर्म के आधार पर हुआ था। न
चाहते हुए भी कुछ कट्टर मुस्लिम जैसे - "मोहम्मद अली जिन्ना" की
राजनीतिक महत्वाकांक्षा के परिणाम स्वरूप पाकिस्तान अस्तित्व में आया। तत्कालीन
नेताओं ने विभाजन इस आधार व आशा से स्वीकार किया कि अलग-अलग रहकर
भारत-पाकिस्तान में नागरिक परंपरागत भाईचारा निभाते हुए अपने-अपने घरों में
शांतिपूर्वक रह सकेंगे। यही सोचकर स्वतंत्रता के बाद
भारत ने गृहनीतियां धर्म संप्रदाय निरपेक्षता पर आधारित बनाई और विदेश नीति में
तटस्थता पर बल दिया। पर पाकिस्तान अपनी कुंठित मानसिकता और इस्लामिक कट्टरता को ना छोड़ सका। ऐसी दशा में भारत-पाकिस्तान के संबंधों
में सद्भावना किस प्रकार स्थापित हो सकती हैं। फिर भी भारत की ओर से अनेकों बार
संबंधों को सुधारने का प्रयास किया गया।
पाकिस्तान ऐसा देश बना जो कभी अपने को प्राप्त वस्तुओं से
संतुष्ट नहीं हो सका। वह बार-बार कश्मीर को अपना अंग बताकर सैन्य व आतंकवादी
कार्यवाही करता रहता है इसलिए सन 1966 में तथा सन1971 में भारत पर आक्रमण किया तथा
दोनों ही बार मुंह की खाई। सन 1971 में युद्ध में तो उसे बांग्लादेश के रूप में
अपना एक अंग खोना पड़ा। इसी युद्ध
में पाकिस्तान सेना के 70000 जवानों को भारत ने बंदी बना लिया था। यदि भारत चाहत तो इस समय कश्मीर का मुद्दा सदा के लिए समाप्त कर सकता था। लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने
शिमला समझौते के तहत, इस विचार से बिना किसी शर्त के
वापस कर दिया कि संभवत: इसके बाद दोनों देशों के मध्य संबंध सुधर जाए, परंतु पाकिस्तान ने हमें गलत साबित किया।
गुजराल डॉक्ट्रिन:-
सन् 1996 के गुजराल डॉक्ट्रिन का मूल
मंत्र यह था कि पहले पड़ोसी देशों में भारत पर विश्वास
पैदा करने का प्रयास करना होगा, तथा उसके बाद विवादों को
बातचीत से सुलझाना होगा। इंद्र कुमार गुजराल जी के प्रधानमंत्री
का दायित्व संभालने के बाद उन्होंने भारत की खुफिया एजेंसी रॉ में पाकिस्तान डेस्क
को बंद करवा दिया था ताकि पाकिस्तान से टकराव कुछ कम हो
सके। किंतु पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ दुश्मनी को और उग्र कर दिया।
वाजपेई व मोदी जी की यात्रा:-
प्रधानमंत्री रहते हुए अटल बिहारी वाजपेई जी ने 1999 में लाहौर की यात्रा की तथा मित्रता के लिए हाथ बढ़ाया। मोदी जी ने 2016
में अचानक कराची की यात्रा मित्रता की ओर एक और कदम बढ़ाया किंतु
पाकिस्तान ने इसके जवाब में 2001 में संसद हमला तथा 2016
में पूरी हमले के रूप में दिया इन हमलों से भारत पाकिस्तान के संबंध
और अधिक बिगड़े हैं।
भारत और पाकिस्तान के मध्य संबंध पाकिस्तान से आने वाले
आतंकवादी हमलावरों के कारण निरंतर बिगड़ते जा रहे हैं। पाकिस्तान न तो स्वयं शांति
से रहता है और न ही भारत को रहने देता है। पाकिस्तान ने पहले पंजाब में
आतंकवाद के बीज बोए, तत्पश्चात कश्मीर में आतंकवाद लाया।
पाकिस्तान ने मुंबई के ताज होटल में हमला किया। 26-11 से भी पहले मुंबई पर कई बार हमला किया। सीजफायर का बार-बार उल्लंघन कर भारतीय सैनिकों
को मारते रहे। संसद भवन पर हमला किया। किंतु उरी हमले
के बाद भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक कर 29 सितंबर 2016
पाकिस्तान को यह दिखा दिया कि अब भारत शांति से सब कुछ सहने वाला नहीं है तथा ईट
का जवाब पत्थर से देगा।
फुलमावा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के
विरुद्ध और भी अधिक सख्ती दिखाते हुए सर्जिकल स्ट्राइक की तर्ज पर बालाकोट पर एयर
स्ट्राइक किया और कूटनीतिक कदम उठाते हुए पाकिस्तान को
भारत की ओर से दिया गया मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा भी वापस ले लिया। भारत सरकार सिंधु जल समझौते को भी पूरी तरह लागू करने के लिए कटिबद्ध हो
गया है। जिसके अनुसार सिंधु की सहायक नदियों के 3 नदियों के पानी पर भारत का अधिकार
है। भारत अब पूर्णता उसे उपयोग करेगा ना कि उसे
पाकिस्तान को देगा। इस कदम से पाकिस्तान की आर्थिक कमर बहुत गंभीर हो जाएगी। इसका
उदाहरण प्याज आदि के भाव में आई अचानक वृद्धि से देखा जा सकता है। साथ ही साथ भारत
ने पाकिस्तान से आयत वस्तुओं पर आयात कर को 200% बढ़ाकर
पाकिस्तान को व्यापारिक चोट भी पहुंचाई। अब पाकिस्तान भारत से डरकर भाईचारा की बात
करने लगा है
भाईचारा केवल तभी संभव है जब पाकिस्तान कुछ शर्तों को मानने
की स्वीकृति दे जैसे:-
- सीजफायर का उल्लंघन नहीं करेगा
- आतंकवादी गतिविधियों को पूर्णता बंद कर देगा
- मसूद अजहर तथा हाफिज सईद जैसे खूंखार आतंकवादियों जोकि
खुलेआम भारत विरोधी बातेंकर पाकिस्तानी नागरिकों को भड़का रहे हैं तथा कई आतंकवादी
हमलों में सम्मिलित हैं को भारत को सौंपदे।
- पाकिस्तानी सरकार तथा सेना द्वारा विभेदाभास अभिव्यक्ति न आए।
इन बिंदुओं के माने जाने के बाद ही भारत पाकिस्तान के मध्य दोस्ताना व्यवहार स्थापित होने की नींव रखी जा
सकती हैं अन्यथा नहीं !!!
जो हो, वस्तु स्थिति तो यह है कि भारत पाकिस्तान दोनों को इस
धरती पर बने रहना है। यह तभी संभव है जब दोनों देश शांति पूर्वक सहयोगी बनकर
प्रगति और विकास की राह पर चले। यह तथ्य पाकिस्तानी जनता व नेता जितनी जल्दी समझ
ले उतना ही अच्छा होगा। संबंध सुधार की जो नई प्रक्रिया ननकाना साहिब कॉरिडोर के
साथ शुरू हुई है देखते हैं कि वह क्या रंग लाती है। अभी तक तो उसके अंतर्गत एक कदम
भी आगे बढ़ पाना संभव नहीं हुआ है। फिर भी निराश नहीं होना चाहिए आशा है कि भारत
पाकिस्तान के संबंध जल्दी ही सुधर जाएं और एक सहभागी के रूप में दोनों देश विकास की राह पर चलें।
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