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Cyber Crime

* वर्तमान समय के सापेक्ष में साइबर क्राइम *

Cyber Crime


विज्ञान के आविष्कारनयी-नयी तकनीक जहां विज्ञान को आगे ले जाते हैं वहीं कहीं न कहीं उस आविष्कार का दुरुपयोग कुछ कुबुद्धि वाले मनुष्य सदैव से करते आ रहे हैं। जिस प्रकार डायनामाइट के आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल ने इसे इसलिए नहीं बनाया था कि एक दिन यह पृथ्वी या मानव सभ्यता के विनाश का कारण बन जाएबल्कि उन्होंने तो कुछ सृजनात्मक कार्यों की अपेक्षा रखी होगी। ठीक उसी प्रकार आज के समय में एक दूसरे से संपर्क करने का सबसे अच्छा माध्यम है वह है "इंटरनेट" (अंतरजाल)। इंटरनेट क्रांति की बदौलत एक क्लिक पर सारी दुनिया सिमट गई है। दोस्तों रिश्तेदारों से चैटिंग से लेकर खरीददारी बैंकिंग ट्रांजैक्शन सब कुछ एक क्लिक पर हो जाता है। मगर दुनिया को समेटाता यह इंटरनेट कभी आपकी दुनिया भी बदल सकता है! सोशल साइट पर की गई जरा सी मस्ती भारी पड़ सकती है। तेजी से बढ़ते साइबर क्राइम के खतरे के बावजूद ज्यादातर लोग इसे हल्के में लेते हैं।

 

        "साइबर क्राइम याने इंटरनेट की दुनिया का अनदेखा अंजाना दुश्मन जो कभी भी आपको हानि पहुंचा सकता है।"


इंटरनेट की खोज और इसका चलन:

इंटरनेट की खोज के पीछे कई लोगों का हाथ था। 1962 मैं जे.सी.आर. लिकेण्डर ने रॉबर्ट टेलर की मदद से एक नेटवर्क बनाया जिसका नाम "ARPANETथा।  इसे 1974 में TELNET नाम से व्यवसायिक रूप से उपयोग में लाया गया। भारत में इंटरनेट 90 के दशक में आया। भारत में इंटरनेट सेवा 15 अगस्त 1995 में तब प्रारंभ हुआ जब विदेश संचार निगम लिमिटेड ने अपनी टेलीफोन लाइन के जरिए दुनिया के अन्य कंप्यूटरों से भारतीय कंप्यूटरों को जोड़ दिया। सन 1998 में सरकार ने निजी क्षेत्रों को इंटरनेट सेवा क्षेत्र में आने की अनुमति दी। इस साल देश की पहली साइट Indiaworld.com आरंभ हुआ। एक सर्वे के अनुसार 2022 तक भारत में 75  करोड़ लोग इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं  {अकामाई टेक्नोलॉजी की रिपोर्ट अनुसार} | वहीं दुनियाभर में यह चार अरब 17 करोड़ हो जाने की संभावना है। 

    फ्यूचर ऑफ इंटरनेट इन इंडियानाम रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के बाद इंटरनेट का सबसे अधिक उपयोग भारत में ही होता है। इसी रिपोर्ट के अनुसार भारत सबसे तेजी से बढ़ता हुआ इंटरनेट बाजार बन रहा है। 

 


आखिर है क्या साइबर क्राइम :-

भारत इंटरनेट का उपयोग करने वाला दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। हम सभी अपने कंप्यूटर मोबाइल आदि से कहीं ना कहीं इंटरनेट से जुड़े हैं। इसलिए साइबर क्राइमसाइबर अपराधसाइबर आतंकवाद जैसे शब्दों के बारे में जानकारी अवश्य होनी चाहिए। 

साइबर क्राइम कई प्रकार का होता है जैसे-

  • निजी जानकारी चुराना :इसे साधारण भाषा में हैकिंग कहते हैं। इससे साइबर अपराधी आपके कंप्यूटर नेटवर्क में प्रवेश कर आपकी निजी जानकारी जैसे- आपका नेट बैंकिंग पासवर्डक्रेडिट कार्ड की जानकारी आदि चुरा लेते हैं। इसी का दूसरा रुप होता है फिशिंगजिसमें आपको फर्जी ई-मेल आदि भेजकर ठगा जाता है। अपराधी फिशिंग के माध्यम से नकली ईमेल यह संदेश भेजते हैं जो किसी प्रतिष्ठित कंपनी बैंक या आरबीआई के जैसे होते हैं। इनका उद्देश्य आपके सभी निजी जानकारियां प्राप्त करना मात्र है ताकि आपको ठगा जा सके।


  • वायरस फैलाना :- साइबर अपराधी कुछ ऐसे सॉफ्टवेयर आपके कंप्यूटर पर भेजते हैं जिसमें वायरस छिपे होते हैं। इसमें वायरसटार्जन हॉस‌‌आदि वायरस होते हैं। यह कंप्यूटर को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। 


  • फर्जी बैंक कॉल :- आपको जाली ईमेल या मैसेज या फोन कॉल प्राप्त हो जो आपकी बैंक जैसा लगा जिसमें आप से पूछा जाए कि आपके ATM पिन, ATM नंबर की आवश्यकता है और यदि ऐसा आपके द्वारा यह जानकारी नहीं दी जाएगी तो आपका खाता बंद कर दिया जाएगा। ऐसे अपराधों की संख्या में वर्तमान में बहुत वृद्धि हुई है। 


  • सोशल नेटवर्किंग साइटों पर अफवाह फैलाना :- बहुत से लोग सोशल नेटवर्किंग साइटों पर सामाजिकवैचारिकधार्मिकराजनैतिक अफवाह फैलाते हैं। लेकिन यूज़र्स इन के इरादे समझ नहीं पाते और ऐसे लिंक को शेयर करते रहते हैं। लेकिन यह भी साइबर अपराध और साइबर आतंकवाद की श्रेणी में आता है। जिस प्रकार कश्मीर में आतंक फैलाने वाले एक छात्र को देशभक्त बताया गया यह एक अपराध ही तो हैं। 


  • साइबर बुलीइंग :- फेसबुकटि्वटर आदि सोशल नेटवर्किंग पर अशोभनीय कमेंट करनाधमकियां देनाकिसी का इस स्तर पर मजाक उड़ाना की तंग हो जाएदूसरों को शर्मिंदा करना इसे साइबर बुलिंग कहते हैं अक्सर बच्चे इसका शिकार होते हैं।


        आज कंप्यूटर का उपयोग करने वाला हर व्यक्ति कंप्यूटर वायरस के हमले के बारे में जानता है। आज रेलवे एयरलाइंस बैंक स्टॉक मार्केट हॉस्पिटल के अलावा सामान्य जन जीवन से जुड़ी हुई सभी सेवाएं कंप्यूटर नेटवर्क के साथ जुड़ी हैं। इसी का फायदा उठाते हुए 12 मई 2017 को भारत ब्रिटेन रूस और अमेरिका समेत 99 देशों पर 17 साइबर हमला हुआ। दुनिया भर के करीब 75000 कंप्यूटरों को हैक कर लिया गया ब्रिटेन की हेल्थ सर्विस एनएच पूरी तरह से चरमरा गई। हैकर्स ने अस्पताल टेलीकॉम सरकारी दफ्तरों के कंप्यूटरों को कंट्रोल कर 6500 से 19000 तक की फिरौती मांगी एवं पैसे ना देने पर सभी फाइलें डिलीट कर देने की धमकी भी दी गई। अमेरिका द्वारा विकसित हैकिंग टूल को चुराकर उसके मदद से दुनिया के सबसे बड़े साइबर क्राइम को अंजाम दिया गया। 

        अब तो सैन्य प्रतिष्ठानों का कामकाज और प्रशासन भी कंप्यूटर नेटवर्क के साथ जुड़ चुका है। कुछ समय पूर्व ही एक पाकिस्तानी हैकर ने सरकारी वेबसाइट को हैक कर उस में पाकिस्तान का झंडा लगा दिया था। आज रोजमर्रा की कार्य प्रणालियों में साइबर स्पेस का दायरा उत्तरोत्तर बढ़ता ही जा रहा है। सरकारेंप्रशासनशिक्षासंचार इसका बढ़-चढ़कर उपयोग कर रही है। साइबर तकनीक इस दुरुपयोग देखते हुए अब विशेषज्ञ भी चिंतित हैं। 

        साइबरस्पेस एक ऐसा क्षेत्र है जहां बिना किसी खून खराबे के किसी भी देश की सरकार को आतंकित किया जा सकता है। साइबर के जरिए आतंक फैलाने वाले कंप्यूटर से महत्वपूर्ण जानकारियां निकाल सकते हैं तथा इसका उपयोग धमकी देने व सेवाओं को बाधित करने में कर सकते हैं। 



साइबर अपराध रोकने के उपाय:-

        यदि इंटरनेट का उपयोग करते हैंतो सर्वप्रथम अपने व्यक्तिगत कंप्यूटर को पासवर्ड से सुरक्षित रखना चाहिए। यह भी जांच करना चाहिए कि एंटीवायरस और एंटीस्पाइवेयर सॉफ्टवेयर ठीक से काम कर रहा है या नहीं। इंटरनेट बैंकिंग और बैंकिंग ट्रांजैक्शन का उपयोग कभी भी सार्वजनिक स्थान जैसे कि किसी ऑफिसपार्क या भीड़भाड़ वाले स्थान पर न करें। किसी भी बैंकिंग ट्रांजैक्शन के लिए अपने पर्सनल कंप्यूटर का ही उपयोग करें अपने सोशल मीडिया अकाउंट को देखते रहें। अगर कभी अपने सोशल मीडिया साइट को डिलीट कर रहे हो तो उससे पहले अपनी सारी पर्सनल जानकारी को डिलीट कर दें। अनजान ईमेल में आए अटैचमेंट को कभी खोलकर ना देखें। किसी कामुक वीडियो या फोटो या लालच देने वाले विज्ञापनों को भूलकर भी क्लिक ना करें। इन सभी बिंदुओं से साइबर अपराध के शिकार होने से बचा जा सकता है।


सूचना तकनीक अधिनियम :-

        भारतीय संसद द्वारा पारित एक अधिनियम जो 17 अक्टूबर 2000 को पारित किया गया तथा 2009 में कुछ संशोधन किया गया। कंप्यूटर को सुरक्षित रखने के लिए सरकार ने साइबर अपराधियों के लिए दंड भी सुनिश्चित किए हैं जैसे -

  • साइबर आतंकवाद के लिए धारा -66(F)
  • कंप्यूटर को हैक करने की कोशिश धारा -66
  • निजता भंग करने के लिए धारा -66(E)
  • अश्लील सूचनाओं को प्रसारित करनेके लिए धारा -67(A)

 

        कंप्यूटर और इंटरनेट के आविष्कार ने एक क्रांति स्वरूप कुछ ही वर्षों में ले लिया है। प्रत्येक शिक्षित व्यक्ति अवश्य ही इंटरनेट का उपयोग कर रहा है। नोटबंदी के पश्चात इसका चलन और अधिक बढ़ा है। अतः साइबर क्राइम से बचने का उपाय सिर्फ यही है कि प्रत्येक वस्तु जिसे आप देख रहे हैंउसे क्लिक करने से पूर्व उसके प्रति सजग रहें। अच्छे से अच्छे एंटीवायरस और फायर बॉल का उपयोग करें। इसे भी अजीब या ऐसे फोन कॉल का जवाब ना दें जो आपसे आपकी निजी जानकारी मांगे तथा ऐसे वस्तुओं की पुलिस में सूचना दें इंटरनेट आज की जरूरत है इसे अभिशाप बनने से बचाएं। 

 

 

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