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संगम साहित्य का इतिहास


* संगमकालीन संस्कृति *


  • भारत के सुदूर दक्षिण में कृष्णा एवं तुंगभद्रा नदियों के मध्य स्थित प्रदेश को "तमिलकम प्रदेश" कहा जाता था। 
  • इस प्रदेश के में अनेक छोटे-छोटे राज्यों का अस्तित्व था। जिसमें चेर, चोल एवं पाण्ड्य राज्य सर्वाधिक महत्वपूर्ण थे। 
  • धुर दक्षिण में पाण्ड्य राज्य था जिसकी राजधानी मदुरई थी। इसके अतिरिक्त चोलों की राजधानी उरैयुर एवं चेरों की राजधानी कांची थी। 

राज्य

राजधानी

पाण्ड्य

मदुरई

चोल

उरैयुर

चेर

कांची


  • इन राज्यों के विषय में जानकारी अशोक के अभिलेखों तथा मेगस्थनीज एवं कौटिल्य के विवरणों से मिलता है। 
  • हाथी गुफा अभिलेख के विवरण के आधार पर कहा जाता है कि कलिंग राजा खारवेल ने अपने शासनकाल के 11 वर्ष लगभग 165 ई.पू. में 113 वर्ष पुराने संघत्रमिर देश संघातकम को बुरी तरह परास्त किया था। 
  • तमिल प्रदेश के साहित्य, संस्कृति एवं इतिहास के बारे में स्पष्ट जानकारी हमें संगम साहित्य व तमिल साहित्य से मिलती है। 



* संगम साहित्य *

Sangam-Sahitya
संगम-साहित्य


  • संगम शब्द से आशय है :- संघ, परिषद, गोष्ठी अथवा संस्थान। 
  • वास्तव में संगम तमिल कवियों, विद्वानों, आचार्यों, ज्योतिषियों एवं बुद्धिजीवियों की एक परिषद् थी। 
  • तमिल भाषा में लिखे गए प्राचीन साहित्यों को ही संगम साहित्य कहा जाता है। 
  • संगम का महत्वपूर्ण कार्य होता था उन कवियों व् लेखकों की रचनाओं का अवलोकन करना जो अपनी रचनाओ को प्रकाशित करना चाहते थे। 
  • परिषद् अथवा संगम की संस्तुति के बाद ही वह रचना प्रकाशित हो पाती थी। 
  • 3 संगम (परिषदों) का आयोजन किया गया था, जिसे पाण्ड्य शासकों ने संरक्षण दिया।
  • संगम कुल 9950 वर्ष तक चले। 
  • 197 पाण्ड्य शासकों ने इसे अपना संरक्षण दिया। 


तमिल अनुश्रुतुओं पर आधारित तीन परिषदों (संगम) के आयोजन का विवरण :- 



प्रथम संगम

स्थान 

मदुरा 

अध्यक्ष 

आचार्य अगत्तियनार (अगत्स्य ऋषि)

सदस्यों की संख्या 

549 

संरक्षण शासकों की संख्या 

89 

प्रेषित रचनाएँ 

4499 

अवधि 

4400 वर्ष 

महत्वपूर्ण रचनाएँ 

परिपाडल-मुदनारै, अकत्तियम, मुदुकुरुक, अवं कलिरियाविरै

उपलब्ध ग्रन्थ 

कोई नहीं 

अन्य विद्वान

तिरिपुर मेरिथ, विरिसदैक्क दबुल, कुत्रमेरीन्द


द्वितीय संगम

स्थान 

कपाट पुरम (अलवै)

अध्यक्ष 

अगस्त्य अवं तोल्काप्पियर

सदस्यों की संख्या 

 49 

संरक्षण शासकों की संख्या 

59 

प्रेषित रचनाएँ 

3700 

अवधि 

3700 वर्ष

उपलब्ध ग्रन्थ 

एक मात्र तोल्काप्पियम द्वारा रचित "तोल्काप्पियम"(व्याकरण ग्रन्थ)

अन्य विद्वान

इरुनदयुूरकुरुगोलिमोसीवेल्लूर काप्पियन आदि

 


तृतीय संगम

स्थान 

 उत्तरी मदुरा 

अध्यक्ष 

 नक्कीरर 

सदस्यों की संख्या 

 49 

संरक्षण शासकों की संख्या 

 49 

प्रेषित रचनाएँ 

 449

अवधि 

 1850 वर्ष 

उपलब्ध ग्रन्थ 

 उपलब्ध तमिल रचनाएँ इसी संगम की हैं 

अन्य विद्वान

 इरैयनार, कपिलार, परणर, सीत्तलै, सत्तनार, उग्र (पाण्ड्य शासक)  

 

 साहित्य का इतिहास

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