* प्रश्नकाल तथा शून्य काल *
संसद में कार्यपालिका से सवाल पूछने के लिए सदन में समय नियत होता है। इस लेख में हम उन्ही के विषय में जानेंगे। यहाँ हम :
- प्रश्नकाल,
- शून्य काल और
- आधे घंटे की चर्चा के विषय में जानेंगे।
प्रश्नकाल:-
संसद के संबंध में प्रश्नकाल का तात्पर्य उस अवधि से है जिसमें संसद सदस्यों द्वारा लोक महत्व के किसी मामले पर जानकारी प्राप्त करने के लिए मंत्रिपरिषद से प्रश्न पूछे जाते हैं।
प्रश्नकाल का समय संसद के दोनों सदनों के प्रत्येक बैठक प्रतिदिन के प्रारंभ में 1 घंटे का होता है।
यह पद्धति इंग्लैंड से ग्रहण की गई है जहां सर्वप्रथम 1721 में से शुरू किया गया था।
भारत में संसदीय प्रश्न पूछने की पद्धति की शुरुआत "1892 के भारतीय परिषद अधिनियम" से हुई।
प्रश्नकाल के दौरान भारत सरकार से संबंधित मामले उठाए जाते हैं और सार्वजनिक समस्याओं को ध्यान में लाया जाता है। जिससे
- किसी स्थिति का सामना करने के लिए,
- लोगों की शिकायतें दूर करने के लिए,
- किसी प्रशासनिक त्रुटि को दूर करने के लिए सरकार कार्यवाही करें।
आधे घंटे की चर्चा:-
- जिन प्रश्नों का उत्तर सदन में दे दिया गया हो उन प्रश्नों से उत्पन्न होने वाले मामलों पर चर्चा लोकसभा में सप्ताह में 3 दिन यथा "सोमवार -बुधवार तथा शुक्रवार" को बैठक के अंतिम आधे घंटे में की जाती है।
- राज्यसभा में ऐसी चर्चा किसी दिन, जिसे सभापति नियत करें सामान्यता 5:00 से 5:30 के बीच की जा सकती है।
- ऐसी चर्चा का विषय पर्याप्त लोक महत्व का होना चाहिए तथा हाल में किसी तारांकित, अतारांकित या अल्प सूचना का प्रश्न रहा हो और जिसके उत्तर में किसी तथ्यात्मक मामले का स्पष्टीकरण आवश्यक हो।
- ऐसी चर्चा को उठाने की सूचना कम से कम 3 दिन पूर्व दी जानी चाहिए।
शून्यकाल संसद:-
- संसद के दोनों सदनों में प्रश्नकाल के ठीक बाद के समय को शून्य काल कहा जाता है।
- यह 12:00 बजे प्रारंभ होता है और 1:00 बजे तक चलता है।
- शून्य काल का लोकसभा या राज्यसभा की प्रक्रिया तथा संचालन में कोई उल्लेख नहीं है।
- शून्य काल, अर्थात 12 से 1:00 तक के समय को शून्यकाल का नाम समाचार पत्रों द्वारा दिया गया है।
- इस काल के दौरान सदस्य अविलम्बनीय महत्व के मामलों को उठाते हैं तथा उस पर तुरंत कार्यवाही चाहते हैं।
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