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राज्यसभा के कार्य तथा शक्तियां

* राज्यसभा के कार्य तथा शक्तियां *


संविधान द्वारा राज्यसभा तथा लोकसभा को अधिकतम मामलों में समान कार्य तथा समान शक्तियां प्रदान की गई है। 

लेकिन कुछ मामलों में राज्यसभा तथा कुछ मामलों में लोकसभा को अधिक शक्तियां प्रदान की गई हैं। 

Rajyasabha-Ki-Shaktiya
Rajyasabha-Ki-Shaktiya


निम्नलिखित मामलों में राज्यसभा को कुछ अधिक शक्तियां प्रदान की गई हैं :-

1) सदनों के स्थान को रिक्त करना :-

  • राज्यसभा का अधिवेशन चल रहा हो तब राज्यसभा अपने सदस्यों को अधिवेशन से अनुपस्थित होने की आज्ञा देती है। 
  • लेकिन राज्यसभा का कोई सदस्य सदन की आज्ञा के बिना 60 दिन उसके सभी अधिवेशन में अनुपस्थित रहे तो राज्यसभा उसके स्थान को रिक्त घोषित करती है। 
  • परंतु 60 दिन की अवधि में उस अवधि को शामिल नहीं किया जाता है जिसके दौरान सत्र का अधिवेशन ना हो रहा हो या अधिवेशन लगातार  4 से अधिक दिनों के लिए स्थगित रहा हो। 

उदाहरणार्थ :- 1976 में सुब्रमण्यम स्वामी का स्थान रिक्त घोषित कर दिया गया था क्योंकि वे राज्यसभा की आज्ञा के बिना कई दिन तक इसकी सभी बैठकों में अनुपस्थित रहे थे 



2) राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार :-

  • 249 अनुच्छेद के अनुसार, राज्य सभा राज्य सूची में दिए गए विषयों पर कानून बनाने का अधिकार संविधान देता है। 
  • 249 अनुच्छेद के अनुसार यदि राज्यसभा उपस्थित तथा मतदान करने वाले सदस्यों के दो तिहाई (2/3) बहुमत से यह संकल्प पारित कर दें कि राष्ट्रीय हित में यह आवश्यक है कि संसद राज्य सूची में वर्णित किसी विषय के संबंध में कानून बनाएं, तो संसद को इस विषय के संबंध में कानून बनाने का अधिकार मिल जाता है। 
  • इस प्रकार बनाया गया कानून के 1 वर्ष तक प्रवर्तन में रहता है। 
  • परंतु राज्यसभा में पारित करके 1 वर्ष के समय को और 1 वर्ष तक के लिए बढ़ा सकती है। 
  • तथा बार-बार पुनः पारित करके इस अवधि को असीमित कर सकती हैं। 


राज्यसभा द्वारा इस अधिकार का अब तक प्रयोग :-

राज्यसभा ने इस अधिकार का अब तक दो बार प्रयोग किया है :-

  • 1952 में :- 1952 में राज्यसभा ने संकल्प पारित करके संसद को व्यापार, वाणिज्य, उत्पादन, वस्तुओं की उपलब्धि तथा वितरण के संबंध में कानून बनाने का अधिकार दिया था। 
  • 1986 में :- 1986 में राज्यसभा ने संसद को अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ सुरक्षा क्षेत्र की व्यवस्था करने के संबंध में कानून बनाने का अधिकार दिया था। 



3) नये अखिल भारतीय सेवाओं को स्थापित करने की अधिकारिता :-

  • संविधान के अनुच्छेद 312 :- इस उपबंध अनुसार राज्यसभा अपनी उपस्थित तथा मतदान करने वाले सदस्यों के दो तिहाई (2/3) बहुमत से यह संकल्प पारित कर कि - राष्ट्रहित में यह आवश्यक है कि संघ और राज्यों के लिए सम्मिलित एक या अधिक अखिल भारतीय सेवाओं का सृजन किया जाए तो संसद को ऐसा अधिकार मिल जाता है।  


इस शक्ति का प्रयोग करके राज्यसभा में निम्नलिखित अखिल भारतीय सेवाओं का सृजन किया है :-

      • 1961 में      भारतीय इंजीनियर सेवा, 
                                 भारतीय वन सेवा, 
                                 भारतीय चिकित्सा सेवा। 

      • 1965 में      भारतीय कृषि सेवा भारतीय शिक्षा सेवा






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