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Kushan Vansh

  *कुषाण वंश *

Kushan samrajya, kanishak samrajya
Kushaan Samrajya


कुषाण का मौलिक अर्थ क्या है     ---    यूची लोगों का कबीला

कुषाण किस जाति के थे     ---    यूची जाति के 

पहली शताब्दी ई.पू. में यूची लोग कितने भागो में बट गए थे     ---    5 भागों में 

कालान्तर में किसने इन पाँचो कबीलो को एक कर उसका स्वामी बना     ---    कुजुल कडफिशेज 


कुजुल कडफिशेज :-

कुषाण वंश का संस्थापक कौन था     ---    कुजुल कडफिशेज 

कुजुल कडफिशेज ने कुषाण  स्थापना कब की     ---    15 ई. में 

कुजुल कडफिशेज ने किसे पराजित कर गांधार और काबुल को जीता     ---    पार्थियंस को 

कुजुल कडफिशेज ने किस धातु के सिक्के चलाये     ---    ताम्बे के सिक्के 


वीमा कडफिशेज :-

कुजुल कडफिशेज का पुत्र था     ---    वीमा कडफिशेज

वीमा कडफिशेज ने किस धातु के सिक्के चलाये     ---    सोने के सिक्के 

सिक्कों पर किसकी आकृति उत्कीर्ण थी     ---    शिव, नंदी, त्रिशूल की 

वीमा कडफिशेज ने क्या उपाधि धारण की     ---    महेश्वर

सिक्को पर क्या उपाधि लिखा मिलता है     ---    महेश्वर की उपाधि

वीमा कडफिशेज के काल में किनसे व्यापार होता था     ---    चीन व रोमन साम्राज्य से 

वीमा कडफिशेज के काल में किसका व्यापार होता था     ---    रेशम, कीमती रत्न व पत्थर आदि का

 

कनिष्क :-

कुषाण वंश का सबसे प्रतापी शासक था     ---    कनिष्क

कनिष्क का साम्राज्य कहाँ तक फैला था     ---    उत्तरप्रदेश, पंजाब मालवा, राजपुताना, सौराष्ट्र, सिंध,                                                                                                 अफगानिस्तान, मध्य एशिया  तक

कनिष्क की राजधानी कौन सी थी     ---    पुरूषपुर या पेशावर

कनिष्क की दूसरी राजधानी थी     ---    मथुरा 

कनिष्क की बिना सर की मूर्ति मिली है     ---    मथुरा से 

Kanishak,Kushan samrajya
कनिष्क


कनिष्क ने कौन सा धर्म अपना लिया     ---    बौद्ध धर्म 

कनिष्क के काल में बौद्ध धर्म की कौन सी संगीति हुई     ---    4 थीं संगीति

कनिष्क के काल में बौद्ध धर्म की 4 थीं संगीति कहाँ हुई     ---    कश्मीर में 

कनिष्क  बौद्ध धर्म कितने भागो में बंट गया     ---    2 भागों में (हीनयान और महायान)

कनिष्क बौद्ध धर्म की किस शाखा का अनुयायी था     ---    महायान शाखा 

कनिष्क के काल में कला की किस शैली का विकास हुआ     ---    गांधार शैली 

कनिष्क के काल के प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य (राज-वैद्य) थे     ---    चरक 

चरक की रचना थी     ---    चरकसहिंता

कनिष्क के प्रमुख दरबारी थे     ---    नागार्जुन, अश्वघोष,  वसुमित्र 

कनिष्क ने शक संवत कब शुरु किया     ---    78 ई. में 


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