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भारत में डचों का आगमन और पतन के कारण

  


-: भारत में डचों का आगमन :-

  • दक्षिण पूर्वी एशिया के मसाला बाजारों में सीधा प्रवेश प्राप्त करना ही डचों का महत्वपूर्ण उद्देश्य था। 
  • 1596 में भारत में आने वाला प्रथम डच नागरिक "करनोलिस डेहस्तमान" था।
  • डच लोग हॉलैंड के निवासी हैं। 


  • 20 मार्च 1602 को एक राज्यकीय घोषणा के आधार पर यूनाइटेड ईस्ट इंडिया कंपनी ऑफ द नीदरलैंड की स्थापना की गई। 
  • इस कंपनी की देखरेख के लिए 17 व्यक्तियों का बोर्ड बनाया गया। 
  • सरकार ने संसद द्वारा बोर्ड को 21 वर्षों के लिए युद्ध करने, संधि करने, प्रदेशों पर अधिकार करने तथा किलाबंदी करने का अधिकार प्रदान किया। 
  • स्थापना के समय कंपनी की पूंजी 65लाख गिल्डर थी। 
  • डचों का पुर्तगालियों से संघर्ष हुआ और धीरे-धीरे भारत के सभी महत्वपूर्ण मसाला उत्पादन क्षेत्रों पर कब्जा कर पुर्तगालियों की शक्ति को कमजोर कर दिया। 

  • भारत में डचों ने पहला कारखाना 1605 ई. में "मछलीपट्टनम" में खोला। मछलीपट्टनम से डच नील का निर्यात करते थे। 
  • डचों ने मसालों के स्थान पर भारतीय कपड़ों को अधिक महत्व दिया , यह कपड़े कोरोमंडल तट, बंगाल और गुजरात से निर्यात किए करते थे। 
  • पुलिकट में निर्मित फैक्ट्री का नाम गोल्ड्रिया रखा गया, गोल्ड्रिया भारत की एकमात्र किलाबंदी बस्ती थी। 
  • पुलीकट से डच अपने स्वर्ण सिक्के पगोडा  को ढालते थे। 


डचों का भारत में पतन :- 

  • "बेदारा के युद्ध":- डचों का भारत में अंतिम रूप से पतन 1759 ईस्वी में अंग्रेजों एवं डचों के मध्य हुए "बेदारा के युद्ध" से हुआ। 
  • इस युद्ध में अंग्रेजी सेना का नेतृत्व क्लाइव ने किया था। 
  • अंग्रेजों की तुलना में नौशक्ति का कमजोर होना, 
  • मसालों के द्वीपों (इंडोनेशिया) पर अधिक ध्यान देना, 
  • बिगड़ती हुई आर्थिक स्थिति, 
  • अत्यधिक केंद्रीयकरण की नीति आदि। 

भारत में बनाई गई प्रमुख फैक्ट्रियां :-

  • भारत में पहली फैक्ट्री 1605 में मछलीपटनम में स्थापित की गयी थी। 
  • उसके बाद 1610 में पुलीकट, 
  • 1616 में सूरत, 
  • 1641 में बिमिलीपटनम और 
  • 1653 में चिनसुरा में कारखाने स्थापित किये। 

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